प्रकाश का परावर्तन ( Reflection of Light) Class 10th NCERT Physics

प्रकाश:- वह कारक है, जिसकी मदद से हम किसी वस्तुओं को देखते हैं।

प्रकाश का स्रोत :- जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है, उसे प्रकाश का स्रोत (Source of Light) कहते हैं ।

  • प्रकाश जो भी स्रोत है उसमें विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं को प्रकाश में बदला जाता है।
  • जैसे लालटेन, लैंप, तेल में संचित रसायनिक ऊर्जा को प्रकाश में बदला जाता है।मोमबत्ती इत्यादि 
  • बिजली के बल्ब, टार्च जैसे ऊर्जा के स्रोत में विद्युत ऊर्जा को प्रकाश में बदला जाता है।

प्रकाश एक प्रकार का ऊर्जा है। यह ‘फोटोन’ नामक कण (अणु) से बने होते हैं।

प्रकाश बहुत सारे किरण (ray) से बने होते हैं।  और यह किरण (ray) सीधी रेखा में आगे चलती है। अगर कोई वस्तु या कण बीच में आती है तो उससे टकराकर या परावर्तित होती है और फिर सीधी रेखा में ही चलती है।

यह क्लास 10th का चैप्टर 9 प्रकाश का परावर्तन का कंप्लीट नोट्स है। इसका बेहतरीन pdf इमेज सहित नोट्स चहिए तो आप हमें कांटेक्ट कर सकते हैं। हमारी टीम आपको सहायता करेगी। only email Contact [email protected]

Table of Contents

प्रदीप्त या दीप्ति मान वस्तु (Luminous)

वैसी वस्तुएं जो खुद प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। जैसे – सूर्य, तारा, बिजली का बल्ब, जलती मोमबत्ती, जलता हुआ लालटेन, लैंप।

प्रदिप्त का मतलब होता है। जो खुद दीप्त (रोशनी) हो।

अप्रदीप्त या अप्रदिप्त वस्तु (Non – Luminous)

वैसी वस्तुएं जो खुद प्रकाश उत्सर्जित नहीं करते हैं। जैसे – चंद्रमा ( सूर्य की रोशनी जब चंद्रमा पर पड़ता है, तब चंद्रमा से प्रकाश निकलता है। यह चंद्रमा का अपना प्रकाश नहीं होता है यह सूर्य का परावर्तित प्रकाश है। इसलिए चंद्रमा को अप्रदिप्त वस्तु कहते हैं।), दर्पण, हीरा, प्रिज्म, मोती इत्यादि। ये सब इसलिए चमकता है क्योंकि इसपर दूसरे प्रदीप्त वस्तु का प्रकाश पड़ता है। अप्रदिप्त का मतलब होता है। जिसमें रोशनी नहीं हो।

किसी वस्तु को कैसे देखते हैं ?

जब किसी वस्तु पर प्रकाश पड़ता है, तो वह प्रकाश प्रवर्तित होकर हमारे आखों तक पहुंचता है। और आखों में चित्र बनता है। तब हम किसी वस्तु को देख पाते हैं।

प्रकीर्णन (Scattering)

प्रकाश जब किसी सूक्ष्म कण या वस्तु पर पड़ता है, तो वे कण या वस्तु प्रकाश के कुछ किरण को अवशोषित (absorb) कर फिर उसे चारों ओर विकिरित (फैलाना) करता है। इस प्रक्रिया को प्रकीर्णन (Scattering) कहा जाता है।

  • इस प्रकीर्णन प्रक्रिया के चलते ही हम किसी वस्तु को देख पाते हैं। अगर यह प्रक्रिया न हो तो हम किसी वस्तु को नहीं देख पाएंगे।

प्रकाश की किरणें :-

प्रकाश का मतलब चमकना होता है। एक ऐसा कण के झुंड जो बहुत पतले धागे जैसे सीधी रेखा में चलती है। कण के झुंड से एक रेखा को ले तो यह किरण कहलाती है। इस कण को ‘फोटोन’ कहा जाता है।

अगर सभी किरणों को एक साथ कर दे तो उसे प्रकाश का किरण पुंज कहते हैं।

किरणपुंज को तीन प्रकार से विभाजित किया गया है।

1.अपसारी किरणपुंज

वैसी किरणपुंज जो एक बिंदु से चारों तरफ फैले । उसे अपसारी किरणपुंज कहते हैं। अपसारी का मतलब होता है फैलना।

2.समांतर किरणपुंज

वैसी किरणपुंज जो सीधी रेखा में फैले। उसे समांतर किरणपुंज कहते हैं। समानांतर का मतलब होता है सीधा ।

3.अभिसारी किरणपुंज

वैसी किरणपुंज जो एक बिंदु पर जाकर मिले । उसे अभिसारी किरणपुंज कहते हैं। अभिसारी का मतलब होता है इकट्ठा होना।

पारदर्शी वस्तु 

वैसी वस्तुएं जिसके आर – पार दिखाई दे। या जिसके आर -पार पूरी प्रकाश जा सकें। जैसे स्वच्छ जल, सीसा आदि।

परभाषी वस्तु

वैसी वस्तुएं जिसके आर – पार धुंधली दिखाई दे। या जिसके आर -पार थोड़ी प्रकाश जा सकें। जैसे 

अपारदर्शी वस्तु

वैसी वस्तुएं जिसके आर – पार दिखाई न दे। या जिसके आर – पार प्रकाश की एक किरण भी न जा सकें। जैसे 

प्रकाश का परावर्तन

प्रकाश के किरण जब किसी वस्तु से टकराकर वापस लौटती है, तब इसको प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

Reflections of light
  • जो वस्तु अधिक चिकना होगा तो उसमें प्रकाश का परावर्तन अधिक होगा।
  • समतल दर्पण सबसे अधिक प्रकाश की किरणों को परावर्तित करती है।

प्रकाश के परावर्तन का नियम

प्रकाश की किरण परावर्तित होने के लिए एक नियम का पालन करती है, इस नियम को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

परावर्तन का नियम

प्रकाश के परवर्तन के दो नियम है। अगर इस नियम का पालन नहीं होता है तो या समझा जाता है की प्रकाश का परावर्तन नहीं होता है।

  1. आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक ही समतल में होते हैं।
  2. आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबार होता है।

आपतित किरण :- किसी सतह पर पड़ने वाली किरण को आपतित किरण कहते हैं।

आपतन बिंदु :- जिस बिंदु पर आपतित किरण सतह से टकराती है, उसे बिंदु को अपन बिंदु कहते हैं।

परावर्तित किरण :- जिस माध्यम से चलकर आपतित किरण सतह पर आती है इस माध्यम में लौट गई किरण को परावर्तित किरण कहते हैं। अगर हवा से चलकर आपतित किरण आती है तो हवा के माध्यम से लौटेगी।

आपतन बिंदु :- किसी समतल के सतह के किसी बिंदु पर खींचे हुए लंब को उसे बिंदु पर अभिलंब कहते हैं।

आपतन कोण :- आपतित किरण आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो कोण बनाती है उसे आपतन कोण कहते हैं।

परावर्तन कोण :- परावर्तित किरण, आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो कोण बनाती है, उसे परावर्तन कोण कहते हैं।

समतल दर्पण पर लम्बवत पदनेवाली किरण का परावर्तन

समतल दर्पण पर लंबवत पढ़ने वाली प्रकाश की किरण परावर्तन के बाद उसी रास्ते पर वापस लौट जाती है।

प्रतिबिंब

प्रतिबिंब का मतलब होता है इमेज या फोटो। किसी बिंदु से हाथी प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जी बिंदु पर मिलती है या जी बिंदु से आई हुई प्रतीत होती है उसे उसे बिंदु स्त्रोत का प्रतिबिंब कहते हैं।

प्रतिबिंब के प्रकार

1.वास्तविक प्रतिबिम्ब (Real image)

किसी बिंदु स्रोत से आई प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जी बिंदु पर वास्तव में मिलती है उसे उसे बिंदु स्त्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं।

  • वास्तविक प्रतिबिंब पर्दे पर दिखाया जा सकता है।
  • वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उल्टा होता है।

2.आभासी प्रतिबिंब या काल्पनिक प्रतिबिंब (Virtual image)

आभासी का मतलब होता है काल्पनिक जो वास्तविक रूप से उपलब्ध नहीं होता है उसे प्रतिबिंब को एक तरह से मन कर चलते हैं कि यह एक प्रतिबिंब है।

किसी बिंदु स्रोत से आई प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद जी बिंदु से आई हुई प्रतीत होती है उसे उसे बिंदु स्त्रोत का आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।

  • आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर दिखाई नहीं जा सकता है।
  • आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा सीधा होता है।

जब हमें आभासी प्रतिबिंब को चित्र में दिखाना होता है तो हम टूटी रेखाओं से दिखाते हैं।

समतल दर्पण

वैसा दर्पण (आइना, mirror)  जो सीधा (समतल) रहता है। घर में जो भी दर्पण रहता है वह समतल दर्पण होता है।

जब हम समतल दर्पण में अपना चेहरा देखते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि दर्पण के पीछे में मेरा प्रतिबिंब (चित्र) बन रहा है। ऐसा भी महसूस होता है कि जब हम दर्पण के नजदीक होते हैं तो दर्पण में मेरा प्रतिबिंब भी दर्पण के नजदीक होता है। इसी तरह से जब हम दूर खड़े रहते हैं तो मेरा प्रतिबिंब भी दर्पण में दूर खड़ा दिखता है। घर में एक बार दर्पण में अपना चेहरा जरूर देखें।

समतल दर्पण में,

वस्तु की दूरी = प्रतिबिंब की दूरी होता है।

पार्श्व परिवर्तन:- दर्पण में प्रतिबिंब हमेशा उल्टा बनता है। इसे पार्श्व परिवर्तन कहा जाता है।

समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की विशेषताएं

  • प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है।
  • प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
  • प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा सीधा बनता है।
  • प्रतिबिंब पार्श्विक रूप से उल्टा बनता है।
  • प्रतिबिंब आभासी होता है। इसलिए हम इसे पर्दे पर दिख नहीं सकते हैं।
  • प्रतिबिंब दर्पण से उतना ही पीछा बनता है जितना वस्तु दर्पण से आगे रहता है।

गोलीय दर्पण

खोखले गोले से बने दर्पण को गोलीय दर्पण कहते हैं।

  • गोलीय दर्पण खासकर के कांच के खोखले गोले से बनाया जाता है।
  • अगर कांच के गोले को आधा भाग में काट देंगे तो दोनों तरफ़ परावर्तक सतह प्राप्त होगा। एक उभरा हुआ सतह और दूसरा धसा हुआ सतह।
  • उभरे हुए भाग से अगर प्रकाश की किरणें परावर्तित होती है तो ऐसे दर्पण को उत्तल दर्पण कहा जाता है।
  • और धसे हुए भाग से अगर प्रकाश की किरणें परावर्तित होती है तो उसे अवतल दर्पण कहा जाता है।

गोलीय दर्पण के कुछ शब्द का परिभषा

ध्रुव – गोलिय दर्पण के मध्यबिंदु को दर्पण का ध्रुव (pole) कहा जाता है। इसे खासकर ‘p’ से संबोधित किया जाता है।

वक्रताकेंद्र – गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है, उस गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता केंद्र कहते हैं। इसे ‘C’ से संबोधित किया जाता है।

वक्रता-त्रिज्या – गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है, उस गोले की त्रिज्या को दर्पण का वक्रता त्रिज्या कहते हैं। इसे ‘R’ से संबोधित किया जाता है।

मुख्य अक्ष (Principal axis) – गोलीय दर्पण के ध्रुव से वक्रता केंद्र को मिलाने वाली सरल रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहा जाता है। 

गोलीय दर्पण का फोकस :-

  • किसी अवतल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु होता है, जहां मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद मिलती हैं।
  • किसी उत्तल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु होता है जहां से मुख्य अक्ष के समांतर आती करने दर्पण से परावर्तन के बाद आई हुई प्रतीत होती है।

गोलीय दर्पण का फोकस-दूरी :- फोकस (F) से दर्पण की ध्रुव (P) की दूरी को दर्पण की फोकस-दूरी कहते हैं।

फोकस दूरी और उसकी वक्रता त्रिज्या 

चाहे अवतल दर्पण हो या उत्तल दर्पण यदि आपतन बिंदु ध्रुव से बहुत दूरी पर ना हो तो फोकस दूरी दर्पण की वक्रता त्रिज्या की आधी होती है।

दर्पण का फोकस उसके ध्रुव तथा वक्रता केंद्र के ठीक बीच में होता है।

f = R/2

गोलीय दर्पण पर किरण आरेख 

गोलीय दर्पण में उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण होता है।

1.उत्तल दर्पण में मुख्य अक्ष के समांतर आपतित किरण हो, तो उसके फोकस F से किरण आती हुई प्रतीत होती है। और अगर अवतल दर्पण हो,तो उसने फोकस F से होकर जाती है।

2.अगर फोकस की दिशा में किरणें आपतित होती है तो वह परावर्तन के बाद दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर निकलती है। (उत्तल और अवतल दोनों दर्पण)

3.अगर वक्रता केंद्र की दिशा में आपतित किरण हो तो वक्रता – त्रिज्या दर्पण पर स्थित किसी बिंदु पर अभिलंब होती है। इसलिए जो किरण दर्पण के वक्रता – केंद्र C की दिशा में दर्पण पर पड़ती है। वह दर्पण पर लंबवत होती है। आपतित किरण परावर्तन के बाद वह किरण उसी पथ पर लौट जाती है।

4.अगर ध्रुव की दिशा में आपतित किरण हो तो परावर्तन के नियम से आपतन कोण और परावर्तन कोण बराबर होगा। और आपतित किरण ,परावर्तित किरण और अभिलंब तीनों एक ही तल में होंगे।

अवतल दर्पण पर बने प्रतिबिंब

1. जब वस्तु अवतल दर्पण के फॉक्स और ध्रुव के बीच स्थित होते हैं। तो प्रतिबिंब दर्पण के पीछे की ओर बनता है। या प्रतिबिंब काल्पनिक सीधा और आवर्धित (वस्तु से बड़ा) होता है।

2. जब वस्तु अवतल दर्पण की फोकस पर स्थित होते हैं। प्रतिबिंब अनंत पर बनता है। या प्रतिबिंब वास्तविक उल्टा और बहुत ही आवर्धित होता है।

3. जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र और फोकस के बीच स्थित होते हैं। तो प्रतिबिंब वक्रता केंद्र और अनंत के बीच बनता है। या प्रतिबिंब वास्तविक उल्टा और आवर्धित होता है।

4. जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र पर स्थित होते हैं। तो प्रतिबिंब वक्रता केंद्र पर ही बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक उल्टा और वास्तु के आकार के बराबर होता है।

5. जब वस्तु अनंत और अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र के बीच स्थित होता है। तब प्रतिबिंब दर्पण के वक्रता केंद्र और फोकस के बीच बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक उल्टा और वस्तु से छोटा होता है।

6. जब वस्तु अनंत पर स्थित होता है। जैसे चंद्रमा शोर जैसी वस्तुएं दर्पण के सामने होती है तो उन्हें अनंत दूरी माना जाता है। ऐसी वस्तुओं से आने वाली किरणें समानांतर होती हैं। जब समानांतर करने अवतल दर्पण पर आपतित होती है तो हुए दर्पण से परावर्तित होकर फॉक्स स्थल पर एक बिंदु पर मिलती है। इसलिए अनंत पर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक उल्टा और वस्तु से बहुत ही छोटा होता है ।

अवतल दर्पण का उपयोग

  • इस दर्पण का उपयोग दाढ़ी बनाने के लिए किया जाता है।
  • टॉर्च, गाड़ी के हेडलाइट और सच लाइटों में अवतल दर्पण का उपयोग प्रवर्तकों के रूप में किया जाता है।
  • कान, नाक गले दांत इत्यादि की जांच के लिए डॉक्टर द्वारा अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है। क्योंकि अवतल दर्पण किसी भी प्रकाश स्रोत जैसे बिजली के बल्ब से आते हुए प्रकाश को एक छोटी सी जगह में केंद्रित कर देता है।
  • सौर भाटियों में सूर्य से आई उसका ऊर्जा को बड़े-बड़े अवतल दर्पणों द्वारा छोटी जगह पर केंद्रित किया जाता है और इसे प्राप्त उसका से कई प्रकार का उपयोग किया जाता है।

उत्तल दर्पण पर बने प्रतिबिंब

उत्तल दर्पण पर हमेशा आभासी प्रतिबिंब ही बनता है चाहे वस्तु कहीं भी रखी हो। प्रतिबिंब हमेशा सीधा रहता है परंतु आकार में बहुत छोटा होता है।

उत्तल दर्पण के उपयोग

  • स्कूटर, मोटर, कार, बस इत्यादि गाड़ियों में उत्तल दर्पण को साइड मिरर और पीछे देखने के आईने के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि किसी वस्तु का प्रतिबिंब हमेशा या सीधा बनता है खैर प्रतिबिंब छोटा होता है और यह वाइड एंगल में विस्तृत प्रतिबिंब बनता है। मतलब यह दर्पण बहुत बड़े क्षेत्र को अपने आईने में दिखा सकता है।

इसके बाद इस चैप्टर में कुछ सवाल है जैसे दर्पण का सूत्र आवर्धन निकालना। ऐसे सूत्र से आप इस चैप्टर से जुड़े सवाल को हल कर पाएंगे। मैं यहां सिर्फ सूत्र लिख रहा हूं सवाल सॉल्व नहीं करूंगा। नहीं कोई उदाहरण देकर के बताऊंगा। क्योंकि सवाल को ब्लॉक में लिखना असंभव होता है वह भी भौतिकी के सवाल को।

 दर्पण सूत्र

1/v+1/u = 1/f ( वस्तु की दूरी – u, प्रतिबिंब की दूरी v, फोकस दूरी – f)।

आवर्धन ( Magnification)

प्रतिबिंब की ऊंचाई और वस्तु की ऊंचाई के अनुपात को आवर्धन कहा जाता है। आवर्धन को m से सूचित किया जाता है।

m = (प्रतिबिंब की ऊंचाई)/(वस्तु की ऊंचाई)

Class 10th Science

चैप्टर 1 : रसायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण

चैप्टर 2 : अम्ल, क्षारक एवं लवण

चैप्टर 3 : धातु एवं अधातु

चैप्टर 4 : कार्बन एवं उसके यौगिक

चैप्टर 5 : जैव प्रक्रम

चैप्टर 6 : नियंत्रण एवं समन्वय

चैप्टर 7 : जीव जनन कैसे करते हैं

चैप्टर 8 : अनुवांशिक

चैप्टर 9 : प्रकाश का परावर्तन

चैप्टर 10 : प्रकाश का अपवर्तन

चैप्टर 11 : मानव नेत्र : वायुमंडलीय अपवर्तन : वर्ण विक्षेपण

चैप्टर 12 : विद्युत – धारा

चैप्टर 13 : विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

चैप्टर 14 : ऊर्जा के स्रोत

चैप्टर 15 : हमारा पर्यावरण

Class 10 Maths Topic (थ्योरी )

  1. Chapter 1: वास्तविक संख्या (Real Numbers)
  2. Chapter 2: बहुपद (Polynomials)
  3. Chapter 3: दो चर वाले रैखिक युग्म (Pair of Linear Equations in Two Variables)
  4. Chapter 4: द्विघात समीकरण (Quadratic Equations)
  5. Chapter 5: समांतर श्रेढ़ियाँ (Arithmetic Progressions)
  6. Chapter 6: त्रिभुज (Triangles)
  7. Chapter 7: निर्देशांक ज्यामिति (Coordinate Geometry)
  8. Chapter 8: त्रिकोणमिति का परिचय (Introduction to Trigonometry)
  9. Chapter 9: त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग (Some Applications of Trigonometry)
  10. Chapter 10: वृत (Circles)
  11. Chapter 11: रचनाएँ (Constructions)
  12. Chapter 12: वृतों से संबंधित क्षेत्रफल (Areas Related to Circles)
  13. Chapter 13: पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन (Surface Areas and Volumes)
  14. Chapter 14: सांख्यकी (Statistics)
  15. Chapter 15: प्रायिकता (Probability)

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