भिन्न, अनुपात और प्रतिशत (Fraction, Ratio and Percentage)

भिन्न, अनुपात और प्रतिशत एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। तीनों एक ही चीज है लेकिन कुछ ही बेसिक अंतर है। हम सबसे पहले भिन्न (fraction) के बारे में डिटेल से पढ़ेंगे । उसके बाद अनुपात और प्रतिशत पढ़ेंगे ।

भिन्न (Fraction )

अगर मैं आपसे पुछू भिन्न क्या होते हैं ? तो आप इसका परिभाषा देने लगेंगे । यहाँ परिभाषा की जरूरत नहीं है।

भिन्न का शाब्दिक अर्थ होता है :- अलग करना, मतलब किसी भी एक पूर्ण चीज को बांटना। हम किसी भी पूर्ण चीज को दो भाग में बांट सकते हैं। या तीन भाग में या चार भाग में या पांच भाग में …।

  • भिन्न को लिखने का तरीका होता है। जैसे ⅚, ⅞, ⅖ इत्यादि। भिन्न को बोलने का सामान्य तरीका होता है। जैसे ⅚ ( 5 बाटा 6).
  • ⅚ इस भिन्न में 5 को अंश कहेंगे और 6 को हर बोला जाता है।
  • जैसे मैं बोलूं एक केक को 8 बराबर भाग में बांट दिया गया। इसका मतलब होगा :- ⅛,⅛,⅛,⅛,⅛,⅛,⅛,⅛ .
  • अब इस 8 भाग में से 3 भाग सविता को दे दिया मतलब होगा ⅛,⅛,⅛,⅛,⅛,⅛,⅛,⅛ मतलब सविता को कितना केक मिला ? ⅛+⅛+⅛ = सविता को मिला। अब कितना बचा? (⅛,⅛,⅛),⅛,⅛,⅛,⅛,⅛ मतलब ⅛+⅛+⅛+⅛+⅛=⅝ मतलब ⅝ भाग बच गया।
  • अगर ⅘ लिखा है तो हमें यहां क्या समझ जाना चाहिए । हमें यह समझना चाहिए की किसी भी चीज के 5 बराबर भाग में से 4 भाग को लिखा गया है।
  • किसी भी भिन्न के नीचे वाले पूर्णांक हर (मतलब ⅘ में 5) किसी चीज के टुकड़ों को दर्शाता है।
  • अगर बोला जाए किसी चीज को 10 बराबर भाग में बांटा गया है। और उसमें से 3 भाग सोहन को दे दिया तो इसको लिख सकते हैं 3/10.
  • अगर 10/2 लिखा है तो यह भी भिन्न ही है लेकिन ये उचित तरीका (सही तरीका) से नहीं लिखा गया है। क्योंकि यहां हम कह सकते हैं कि किसी चीज को 2 बराबर भाग में बांटा हुआ है। तो हम इसमें से 10 भाग कैसे किसी को दे सकते हैं।

भिन्न के प्रकार (Types of Fraction) :-

भिन्न को मुख्य रूप से तीन प्रकार में विभाजित किया गया है।

  1. उचित भिन्न
  2. विषम भिन्न
  3. मिश्रित भिन्न
  4. तुल्य भिन्न

उचित भिन्न

किसी भी भिन्न के अंश का मान हर के मान से कम हो तो उसे उचित भिन्न कहते हैं।, जैसे : ⅖,⅔,⅘,⅝,¾ इत्यादि।

विषम भिन्न

किसी भी भिन्न के हर का मान अंश के मान से कम हो तो उसे विषम भिन्न कहते हैं।, जैसे : 4/3,6/9,8/5,इत्यादि

मिश्रित भिन्न

पूर्णक संख्या और उचित भिन्न मिलकर मिश्रित भिन्न बनता है।, जैसे: 2+3/4 (2 पूर्णक 3 बटा 4).

तुल्य भिन्न

इस भिन्न का कोई परिभाषा मैं देने वाला नहीं हूँ सिर्फ आपको समझा देता हूँ।

जैसे:- ⅖ लिखा गया है। अब हम 4/10 लिखते हैं। क्या आप बता सकते हैं 2/5 और 4/10 दोनों अलग-अलग भिन्न है या एक ही भिन्न है।

दोनों एक ही भिन्न है। लेकिन रूप को बदल कर लिखा गया है। इसी तरह के भिन्न को तुल्य भिन्न कहा जाता है।

जैसे :- अगर बोला जाए 2/5 के छह तुल्य भिन्न को लिखो। तो इसको ऐसे लिखा जाएगा।

2/5× 2/2=4/10

2/5× 3/3=6/15

2/5× 4/4=16/20

2/5× 5/5=10/25

2/5× 6/6=12/30

अतः 2/5 के छह तुल्य भिन्न 4/10, 6/15, 16/20, 10/25, 12/30 होगा । इससे ज्यादा भी निकाला जा सकता है। मतलब तुल्य भिन्न का कोई अंत नहीं हो सकता है।

तुल्य भिन्न निकालने का तरीका भी मैंने बता ही दिया है।

[आगे लिखाना जारी है, आप कमेंट कर के सवाल भी पूछ सकते हैं। ]

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