बेसिक गणित में आकृति और आकृतियों की समझ बहुत ही महत्वपूर्ण चैप्टर है। अगर आप इस चित्र को अच्छी तरह से समझ जाते हैं तो ज्यामिति का कोई भी सवाल आप आराम से हल कर लेंगे।
चाहे वह क्लास 1 की हो या क्लास 10 की हो किसी भी क्लास का सवाल हो, आप उस सवाल को अच्छी तरह से समझ सकते हैं और उसको हल कर सकते हैं।
बच्चों में खास समस्या साथ-साथ शिक्षकों में भी यह समस्या होती है की सिर्फ क्लास के किताब में जो भी दिया गया है वहीं तक सीमित रहता है उससे नीचे या ऊपर सीखने या सीखने की जिज्ञासा नहीं रहती है।
● बिंदु (Point) किसे कहते हैं ?
बिंदु की कोई खास परिभाषा नहीं होती है। ऐसा कहा जा सकता है , एक ऐसा चिन्ह जो सिर्फ स्थान घेरता हो उसे बिंदु कहा जाता है।
जैसे :- ●, •
◆ संरेखी बिंदु (collinear points) :- यदि तीन या तीन से अधिक बिंदु एक ही रेखा पर स्थित हों तो वे बिंदु संरेखी बिन्दु कहलाते हैं। अगर एक रेखा में बिंदु स्थित नहीं होती है तो उसे असंरेखी बिंदु (non-collinear points) कहलाती है।
◆ अंतःबिंदु :- किसी भी बंद आकृति के अंदर वाले बिंदु को अन्तःबिन्दु कहते हैं।
◆ बाह्य बिंदु :- किसी भी बंद आकृति के बाहर जो बिंदु होते हैं उसे बाह्य बिंदु कहते है।
● रेखा (Line) किसे कहते हैं ?
रेखा एक तरह से बिंदुओं का समूह होता है। रेखा में दो छोड़ होता है। रेखा सीधी भी हो सकती है और टेड़ी भी। रेखा के दोनों छोड़ का अंत नहीं होता है इसलिए रेखा को दोनों छोड़ तीर के सहारे लिखा जाता है। तीर के चिन्ह का मतलब होता है अनन्त। A<——————>B
● रेखाखंड (Line segment) किसे कहते हैं ?
रेखाखंड, रेखा का एक टुकड़ा होता है। इसे तीर के सहारे नहीं लिखा जाता है। A ―――――B , यहाँ AB एक सीधी रेखाखंड (रेखा का टुकड़ा) है।
● किरण (Ray) किसे कहते हैं ?
किरण भी रेखा की तरह ही लिखा जाता है। लेकिन किसी एक छोड़ पर तीर का निशान लिखा जाता है। A————–>B
◆ वक्र रेखा :- टेढ़ी-मेढ़ी रेखा को वक्र रेखा कहा जाता है। ज्यामिति में वक्र रेखा का भी जरूरत होता है। जैसे वृत जैसे आकृतियों की रचना करने में भी वक्र रेखा की जरूरत होती है।
◆ उदग्र रेखा :- उदग्र रेखा (Vertical Line) वैसी रेखा जो खड़ी (|) होती है। उसे उदग्र रेखा कहते हैं।
◆ क्षेतिज रेखा :- क्षेतिज रेखा (Horizontal Line) वैसी रेखा जो पड़ी (—-) होती है। उसे क्षेतिज रेखा कहते हैं।
◆ समांतर रेखा :- ऐसी रेखा जो प्रतिच्छेद नहीं करती है, वह समांतर रेखा कहलाती है। दो रेखा या रेखाखण्ड सीधी दिशा में आगे पढ़ें और कहीं भी एक दूसरे को प्रतिच्छेद न करें उसे समांतर रेखा कहते हैं।
A__________________________B
P__________________________Q
AB और PQ रेखाखण्ड समांतर रेखाखंड है। किसी समांतर रेखाखण्ड को दर्शाने के लिए दो खड़ी लाइन का उपयोग किया जाता है। जैसे AB और PQ दो समांतर रेखाखण्ड है तो इसे AB।।PQ लिखेंगे.मतलब होता है समांतर ।
- दो समांतर रेखा या रेखाखण्ड लंबाई में बड़ा छोटा भी हो सकता है।
◆ असमन्तर रेखा :- ऐसी रेखा जो प्रतिच्छेद करती है, वह असमांतर रेखा कहलाती है। कोई दो रेखा या रेखाखण्ड जब एक दूसरे को दूर जाकर भी प्रतिच्छेद करती है तो उसे असमन्तर रेखा कहते हैं।
◆ प्रतिच्छेदी रेखा :- जब एक रेखा दूसरे रेखा को प्रतिच्छेद करती है तब पहली रेखा को दूसरी रेखा का प्रतिच्छेदी रेखा कहा जाता है।
◆ तिर्यक रेखा :- जब किसी एक रेखा को कोई दो या दो से अधिक रेखा अलग-अलग जगहों पर प्रतिच्छेद करती हैं तो वह रेखा तिर्यक रेखा कहलाता है।
- सभी तिर्यक रेखा प्रतिच्छेदी रेखा कहलाती है लेकिन सभी प्रतिच्छेदी रेखा तिर्यक रेखा नहीं कहलाती है।
- कोई एक रेखा को एक रेखा एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करती है।( प्रतिच्छेदी रेखा है लेकिन तिर्यक रेखा नहीं है।)
- कोई एक रेखा को एक से अधिक रेखा एक ही बिंदु पर अगर प्रतिच्छेद करती है। ( प्रतिच्छेदी रेखा होगा लेकिन तिर्यक रेखा नहीं होगा।)
- कोई एक रेखा को एक या एक से अधिक रेखा दो या दो से अधिक बिंदु पर प्रतिच्छेद करती है। (प्रतिच्छेदी रेखा होगा और तिर्यक रेखा भी होगा । )
● कोण किसे कहते हैं ?
जब दो सीधी रेखाओं का शीर्ष आपस में मिलते हैं तब उस जगह पर कोण बनता है। कोण को मापने के लिए डिग्री (°) चिन्ह का उपयोग किया जाता है।
कोण बनाने के लिए कुछ शर्त होती है।
- कोण बनने के लिए एक शीर्ष होनी चाहिये।
- कोण बनने के लिए दो भुजाओं को भी होना जरूरी है।
घड़ी के मिनट वाला सुई 12 बजे से शुरू होगी चलना और फिर 12 पर पहुँचेगी तो वह 360° (360 डिग्री) घूम जाती है।
- घड़ी की मिनट वाली सुई 12 बजे से 6 बजे तक आती है तो वह 360° की आधी दूरी तय करती है । मतलब 360°/2 =180° होगा।
- घड़ी की मिनट की सुई 12 बजे से 3 बजे पर आएगी तो वह 180° का आधा मतलब 180°/2 = 90° होगा।
- एक मिनट को डिग्री में कन्वर्ट करें तो 6° होगा।
◆ न्यून कोण :- वैसे कोण जो 90° से छोटा हो और 0° से बड़ा हो वह न्यूनकोण कहलाता है। [ 0°< न्यूनकोण > 90°]
जैसे :- 1°,2°,3°,……88°,89°
◆ समकोण :- सिर्फ 90° के कोण को समकोण कहा जाता है।
◆ अधिककोण :- 90° से बड़े और 180° से छोटे कोण को अधिककोण कहा जाता है। [ 90°< अधिककोण > 180°]
जैसे :- 91°,92°,……179°
◆ पूरक कोण :- वैसे दो कोण जिसको मिलाने पर 90° हो जाए। वैसे कोणों को एक-दूसरे का पूरक कोण कहते है।
जैसे :-
- 30° और 60° ये दोनों कोण एक-दूसरे का पूरक कोण कहलायेगा है। क्योंकि (30°+60°= 90°)
- 45° का पूरक कोण क्या होगा ? 45° का पूरक कोण 45° होगा क्योंकि 45°+45° = 90° होगा।
- 70° का पूरक कोण 20° होगा क्योंकि 70° और 20° को जोड़ने पर 90° होगा।
◆ संपूरक कोण :- वैसे दो कोण जिसको मिलाने पर 180° हो जाए। वैसे कोणों को एक-दूसरे का समपूरक कोण कहते है।
जैसे :-
- 120° और 60° ये दोनों कोण एक-दूसरे का समपूरक कोण कहलायेगा है। क्योंकि (120°+60°= 180°)
- 90° का समपूरक कोण क्या होगा ? 90° का समपूरक कोण 90° होगा क्योंकि 90°+90° = 180° होगा।
- 70° का समपूरक कोण 110° होगा क्योंकि 70° और 110° को जोड़ने पर 180° होगा।
◆ आसन्न कोण :- आसन्न कोण (Adjacent Angles) वैसे दो कोणों के जोड़े को आसन्न कोण कहेंगे जिसमें
- दोनों कोणों के लिए एक कॉमन (उभयनिष्ठ) भुजा होनी चाहिए।
- दोनों कोणों का शीर्ष एक ही होता है।
◆ रैखिक युग्म कोण :- वैसा आसन्न कोण (Adjacent Angles)जिसके दोनों कोणों को जोड़ने पर 180° होता है। उसे रैखिक युग्म कोण (Linear Pair Angle) कहते हैं। मतलब कोई
- दोनों कोणों के लिए एक कॉमन (उभयनिष्ठ) भुजा होनी चाहिए।
- दोनों कोणों का शीर्ष एक ही होता है।
- दोनों कोणों का योग 180° होता है।
◆ शीर्षाभिमुख कोण :- शीर्षाभिमुख कोण (Vertically Opposite Angles)
◆ संगत कोण :- संगत का मतलब होता है साथ-साथ नीचे इमेज के माध्यम से बताया गया है कौन-कौन कोण के जोड़े संगत कोण हैं। और कौन-से जोड़े असंगत कोण के जोड़े हैं।
● आकृति किसे कहते हैं?
वैसे आकृति (Sapes) का कोई परिभाषा नहीं है। और परिभाषा याद करने की भी जरूरत भी नहीं है सिर्फ आकृति क्या होता है ? कैसे होता है ? उसे समझना जरूरी होता है। किसी भी आकृति को बनने के लिए कम-से-कम तीन रेखाओं की जरूरत होती है। अगर कर्व रेखा है तो एक भी रेखा से आकृति बन सकती है।
आकृति को दो तरह से देखा जा सकता है। 2-D आकृति (द्विविमीय आकृति) और 3-D आकृति (त्रिविमीय आकृति)
◆ भुजा (Side) :- भुजा को आकृति में किनारा भी कहा जाता है। भुजा का मतलब बांह होता है इंग्लिश में arm कहते हैं। इस चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं भुजा किसे कहते हैं और शीर्ष क्या होता है यह भी पता चल जाएगा।
● बहुभुज किसे कहते हैं ?
जैसा कि यह नाम से ही स्प्ष्ट है। बहुभुज (बहुत भुजाएँ), दो या दो से अधिक भुजाओं से बनने वाली आकृति बहुभुज कहलाता है।
● त्रिभुज किसे कहते हैं ?
तीन भुजाओं से घिरे क्षेत्र से बनने वाले बहुभुज को त्रिभुज कहते हैं।
भुजाओं के अनुसार त्रिभुज के तीन प्रकार होते हैं।
1.समबाहु त्रिभुज :- समबाहु (सम-बराबर, बाहु-भुजा) ) वैसा त्रिभुज जिसके सभी भुजा बराबर माप के होते हैं वह समबाहु त्रिभुज कहलाते हैं।
2.समद्विबाहु त्रिभुज :- समद्विबाहु (सम-बराबर, द्वि-दो, बाहु-भुजा) ) वैसा त्रिभुज जिसके दो भुजा अलग-अलग माप के होते हैं वह समद्विबाहु त्रिभुज कहलाते हैं।
3.विषमबाहु त्रिभुज :- विषमबाहु (विषम-अलग अलग, बाहु-भुजा) ) वैसा त्रिभुज जिसके सभी भुजाएँ अलग-अलग माप के होते हैं वैसे त्रिभुज को विषमबाहु त्रिभुज कहते हैं।
कोण के अनुसार भी त्रिभुज के तीन प्रकार होते हैं।
- त्रिभुज के तीनों कोणों को जोड़ने पर 180° होता है। ना 180° से बड़ा और न ही 180° से छोटा होता है।
1.न्यूनकोण त्रिभुज :- वैसे त्रिभुज जिसके तीनों कोणों का माप न्यूनकोण (90° से छोटे) होते हैं। वैसे त्रिभुज को न्यूनकोंण त्रिभुज कहते हैं।
2.समकोण त्रिभुज :- वैसे त्रिभुज जिसका एक कोण (समकोण) का माप 90° और बचे दो कोण न्यूनकोण हो तो उसे समकोण त्रिभुज कहते हैं।
3.अधिककोण त्रिभुज :- वैसे त्रिभुज जिसका एक कोण अधिककोण (90° से बड़ा 180° से छोटा) हो और बचे दो कोण न्यूनकोण हो तो उसे अधिककोण त्रिभुज कहते हैं।
● चतुर्भुज किसे कहते हैं
चार भुजाओं से घिरे क्षेत्र से बनने वाले बहुभुज को चतुर्भुज कहते हैं।
भुजाओं और कोणों के बड़ा-छोटा के अनुसार चतुर्भुज के कुछ भेद होते हैं।
1.वर्ग (Square) :- वैसा चतुर्भुज जिसके सभी भुजाएँ बराबर हों और सभी कोण समकोण हो वैसे चतुर्भुज को वर्ग कहते हैं।
2.आयात (Rectangle) :- वैसा चतुर्भुज जिसके आमने-सामने की भुजाएँ बराबर हों और सभी कोण समकोण हो वैसे चतुर्भुज को आयात कहते हैं।
3.समचतुर्भुज (Rhombus) :- वैसा चतुर्भुज जिसकी सभी भुजाएँ बराबर हों आमने-सामने का कोण बराबर हों वैसे समचतुर्भुज कहते हैं।
समचतुर्भुज के गुण :-
- समचतुर्भुज के सभी भुजाएँ बराबर होती है।
- आमने-सामने के कोण भी बराबर होते हैं।
- इस चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
- विकर्ण सम्मुख कोणों को समद्विभाजित करते हैं।
- सभी वर्ग समचतुर्भुज होते हैं।
4.समांतर चतुर्भुज (Parallelogram) :- वैसा चतुर्भुज जिसके आमने-सामने की भुजाएँ समान्तर और समान होती है उसे समान्तर चतुर्भुज कहते हैं।
समान्तर चतुर्भुज के गुण :-
- समचतुर्भुज के आमने-सामने की भुजाएँ बराबर और समान्तर होती है।
- आमने-सामने के कोण भी बराबर होते हैं।
- इस चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
- विकर्ण सम्मुख कोणों को समद्विभाजित करते हैं।
- सभी वर्ग और आयत समान्तर चतुर्भुज होते हैं।
- सभी समचतुर्भुज भी समान्तर चतुर्भुज होते हैं।
- वर्ग और आयत को छोड़कर प्रत्येक समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण आपस में बराबर नहीं होते हैं।
- समान्तर चतुर्भुज के विकर्णो के कोण बराबर होते हैं।
5.समलम्ब चतुर्भुज (Trapezium) :- वैसा चतुर्भुज जिसकी कोई दो सम्मुख (आमने-सामने) भुजाएँ समान्तर लेकिन असमान होती है बाकी दो भुजाएँ असमान्तर होती हैं वैसे समलम्ब चतुर्भुज कहते हैं।
◆ पंचभुज :- पांच भुजाओं से बने आकृति को पंचभुज कहते हैं।
◆ षष्टभुज :- छह भुजाओं से बने आकृति को षष्टभुज कहते हैं।