“पूर्णांक” चैप्टर Class 7 के गणित का पहला चैप्टर है, लेकिन बेसिक गणित का भी एक महत्वपूर्ण चैप्टर है। तो चलिए इस पूर्णांक (Integers) के बारे में डिटेल से जानकारी देते हैं।
चैप्टर शुरू करने से पहले आपको पूर्णांक के बारे में डिटेल से पता होना चाहिए। हम पूर्णांक के बारे में भी जानकारी देंगे ।
लेकिन सबसे पहले मेरे द्वारा पढ़ाया गया चैप्टर संख्या रेखा और संख्याओं की परिभाषा के बारे में पता कर लीजिए।
● पूर्णांक (Integers) क्या होता है ?
पूर्णांक एक खास तरह के संख्याओं को कहा जाता है। जैसे ….-8,-7,-6,-5,-4,-3,-2,-1,0,1,2,3,4,5,6,7,8,9……….
इस तरह के सभी संख्याओं को पूर्णांक कहा जायेगा।
- 7/2 पूर्णांक संख्या नहीं है।
- 3.5 पूर्णांक संख्या नहीं है।
- √5 पूर्णांक संख्या नहीं है।
- √4 = 2 यह एक पूर्णांक संख्या है।
- 6/2 = 3 यह एक पूर्णांक संख्या है।
मतलब बिना झोल-झपट वाले संख्या पूर्णांक होता है। संख्या रेखा पर जो संख्या को एक इकाई के रूप में लिखा जाता है। या किसी संख्या को एक इकाई में बांट सकते हैं तो यह पूर्णांक संख्या कहलायेगा।
◆ पूर्णांकों के योग और व्यवकलन (घटाव) के गुण
(i) योग और घटाव का संवृत गुण
इस गुण के अनुसार दो या दो से अधिक पूर्णांकों के जोड़ या घटाव करने पर पूर्णांक संख्या ही प्राप्त होता है।
- 8 + 3 = 11
- -5 + 2 = -3
- 7 – 5 = 2
- – 6 – 3 = -9
यहाँ दो पूर्णांकों के जोड़ या घटाव एक पूर्णांक संख्या ही है।
(ii) योग का क्रमविनिमय गुण
इस गुण के अनुसार दो पूर्णांकों के जोड़ को उसके उल्टे क्रम के जोड़ का योगफल एकसमान होता है। a + b = b + a
- 5 + 3 = 3 + 5 = 8
- -7 + 5 = 5 – 7 = -2
- -3 – 4 = -4 -3 = -7
यहाँ दो पूर्णांकों का योगफल उसके उल्टे क्रम के योगफल एक समान ही है।
(iii) योग का साहचर्य गुण
किसी तीन पूर्णांकों को एक साथ जोड़ने के क्रम में पहले दो पूर्णांकों को जोड़ना उसके बाद तीसरे को जोड़ना, या अंतिम दो पूर्णांकों को एक साथ जोड़ने के बाद पहले वाले पूर्णांक को जोड़ना पूर्णांक के साहचर्य गुण कहलाते हैं। (a+b)+c = a+(b+c)
- (5+3)+4 = 5+(3+4) = 12
(iv) योज्य तत्समक गुण
योज्य तत्समक का मतलब होता है। किसी पूर्णांक में वैसे पूर्णांक को जोड़ना जिससे वही पूर्णांक प्राप्त हो। a+0 = a = 0 +a
- 2+0 = 2
- -6+0 = -6
शून्य (0) को योज्य का तत्समक कहा जाता है।
(vii) योज्य प्रतिलोम
प्रतिलोम का मतलब होता है उल्टा । किसी पूर्णक को उसके प्रतिलोम के साथ जोड़ा जाता है तो वही संख्या प्राप्त होता है। a का प्रतिलोम होगा -a यहाँ a + (-a) = 0 होता है।
- 3 का प्रतिलोम -3 होगा। 3 + (-3) = 0
- -5 का प्रतिलोम 5 होगा। (-5) + 5 = 0
◆ पूर्णांकों के गुणन का गुण
(i) गुणा का संवृत गुण
इस गुण के अनुसार दो या दो से अधिक पूर्णांकों को गुना करने पर पूर्णांक संख्या ही प्राप्त होता है।
- 8 × 3 = 24
- -5 × 2 = -10
- 7 × 5 = 35
- – 6 × 3 = -18
यहाँ दो पूर्णांकों का गुणनफल एक पूर्णांक संख्या ही है।
(ii) गुणा का क्रमविनिमय गुण
इस गुण के अनुसार दो पूर्णांकों के गुणन को उसके उल्टे क्रम के गुना का गुणनफल एकसमान होता है। a × b = b × a
- 5 × 3 = 3 × 5 = 15
- -7 × 5 = 5 × -7 = -35
- -3 × 4 = 4 × -3 = -12
यहाँ दो पूर्णांकों का गुणनफल उसके उल्टे क्रम के गुणनफल एक समान ही है।
(iii) गुणा का साहचर्य गुण
किसी तीन पूर्णांकों को एक साथ गुणा के क्रम में पहले दो पूर्णांकों का गुणा उसके बाद तीसरे का गुणा, या अंतिम दो पूर्णांकों को एक साथ गुणा करने के बाद पहले वाले पूर्णांक को गुणा करना पूर्णांक के साहचर्य गुण कहलाते हैं। (a×b)×c = a×(b×c)
- (5×3)×4 = 5×(3×4) = 60
(iv) गुणा का वितरण गुण
वितरण के नियम में गुणा और योज्य दोनों का उपयोग होता है। a×(b+c) = a×b + a×c
- 2×(4+5) =2×4+2×5 = 18
यहाँ एक पूर्णांक को किसी दो पूर्णांकों के योगफल के साथ क्रिया किया जाता है या एक पूर्णांक को बचे दोनों पूर्णांकों के साथ गुना कर के जोड़ा जाता है तो मान एक बराबर ही होता है।
(v) गुणा का तत्समक गुण
इस गुण के अनुसार किसी पूर्णक में किस पूर्णांक के साथ गुणा किया जाए कि वही पूर्णांक हो जाये। a × 1 = a
- 5×1 = 5
- -6×1 = -6
- -9×1 = -9
(vi) गुणा का प्रतिलोम गुण
किसी संख्या का गुणन प्रतिलोम से गुणा करने पर 1 प्राप्त होता है। a×1/a =1 , यहाँ a का गुणन प्रतिलोम 1/a होगा।
- 3×1/3=1
- 4×1/4=1
- -10×(-1/10) =1
(vii) शून्य से गुणा का गुण
किसी पूर्णांक में शून्य से गुणा करने पर शून्य ही प्राप्त होता है । a×0=0
- 3×0=0
- -4×0=0
- 6×0=0
◆ पूर्णांकों के भाग का गुण
(i) -8÷(-4) = 2
(ii) (-8) ÷ (3) = -8/2
(iii) 8 ÷ (-3) = -8/3
(iv) a ÷1 = a
(v) a ÷ (-1) = -a
(vi) a ÷ 0 = 0
(vii) 0 ÷ a = ?