क्लास 10 के NCERT के Science (विज्ञान) के अध्यय 2 में अम्ल, क्षारक और लवण है। आज हम इनके बारे में डिटेल से पढ़ेंगे साथ में आप नोट्स को पीडीएफ में भी डाउनलोड कर पाएंगे।
सबसे पहले कुछ शब्द को परिभाषित करेंगे ताकि उस शब्द का अगर इस चैप्टर में कहीं उपयोग हो रहा है तो आपको समझ में आ जाए। कि क्या मतलब है?
यह क्लास 10th का चैप्टर 9 प्रकाश का परावर्तन का कंप्लीट नोट्स है। इसका बेहतरीन pdf इमेज सहित नोट्स चहिए तो आप हमें कांटेक्ट कर सकते हैं। हमारी टीम आपको सहायता करेगी। only email Contact [email protected] |
Table of Contents
● अम्ल, क्षारक और लवण क्या हैं [ What is Acids, Bases and Salts ]
अम्ल, क्षारक और लवण तीनों पदार्थ हैं। तीनों पदार्थ बहुत काम के होते हैं। तीनों पदार्थों का गुण अलग-अलग होते हैं। और तीन का उपयोग भी अलग-अलग जगह किया जाता है। अम्ल और क्षारक को मिलाने से लवण और जल बनता है।
◆ अम्ल (Acids) :-
अम्ल कुछ परिभाषा नहीं है। यह ऐसे पदार्थ को कहते हैं। जिस पदार्थ का स्वाद खट्टा होता है। और धातु से अभिक्रिया कर के हायड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
लगभग सभी खनिज अम्ल से अभिक्रिया का हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं। ‘एसिड’ जिसको हिंदी में अम्ल कहते हैं । acid (अम्ल) की उत्पत्ति लेटिन शब्द हुई थी और जिसका अर्थ होता है खट्टा।
अम्ल भी अलग अलग तरह का होता है। कुछ अम्ल दूसरे अम्ल की तुलना में तेजी से धातु को घुलाकर हायड्रोजन गैस मुक्त करते हैं। जैसे : हैड्रोक्लोरिक अम्ल। एसिटिक अम्ल धीरे से अभिक्रया करता है।
1.प्रबल अम्ल ( Strong Acids ):-
वे अम्ल जो जल में घुलकर लगभग पूर्णता आयनित होकर हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करते हैं, वह प्रबल अम्ल कहलाते हैं। जैसे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL), नाइट्रिक अम्ल (HNO3) और सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) प्रबल अम्ल है।
2.दुर्बल अम्ल (Weak Acids) :-
वे अम्ल जो जल में घुलकर सिर्फ आंशिक रूप में ही आयनित होते हैं वह दुर्बल अम्ल कहलाते हैं। जैसे कार्बोनिक अम्ल (H2CO3), ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH), इत्यादि। बोरिक अम्ल (H3BO3) एक दुर्बल अम्ल है इस अम्ल का उपयोग एंटीसेप्टिक के रूप में किया जाता है।
3.सांद्र अम्ल (Concentrated Acids) :-
जब विलयन में अम्ल की अधिक मात्रा रहती है तो उसे शांत विलियन कहा जाता है। सांद्र विलयन में जल की मात्रा कम से कम रहती है।
4.तनु अम्ल (Dilute Acids) :-
जब विलयन में अम्ल की मात्रा अपेक्षाकृत कम रहती है तो उसे तनु विलियन कहा जाता है। तनु विलियन में जल की मात्रा सांद्र विलयन की अपेक्षा थोड़ी अधिक रहती है।
◆ अम्ल के गुण (Character of Acids )
1.अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
कुछ फल जिसको सिट्रस फल कहा जाता है। जैसे:- नींबू, संतरा, कच्चा अंगूर इसमें से सिट्रिक अम्ल होता है इसलिए इसका स्वाद खड़ा होता है।
सिरका इसमें ऐसेटिक अम्ल होता है,जिससे इसका स्वाद खड़ा होता है। सिरका अचार बनाने में उपयोग किया जाता है,क्योंकि यह आचार को अधिक दिन तक सुरक्षित रखने में सहायक होता है।
कुछ फल और पदार्थ ऐसे होते हैं जिसमें प्राकृतिक रूप से अम्ल पाए जाते हैं। लेकिन प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले अम्ल भी जानलेवा होता है। नीचे सारणी में कुछ फल और पदार्थ का नाम दिया गया है जिसे आप देख सकते हैं।
पदार्थ | अम्ल (Acids) |
संतरा और नींबू का रस | सिट्रिक अम्ल |
सेब | मैलिक अम्ल |
इमली | टार्टरिक अम्ल |
सिरका | एसिटिक अम्ल |
दही | लैक्टिक अम्ल |
आमाशय-रस | हैड्रोक्लोरिक अम्ल |
टमाटर | ऑक्जेलिक अम्ल |
चाय | टैनिक अम्ल |
विटामिन C | एस्कार्बिक अम्ल |
चींटी | फॉर्मिक अम्ल |
2.विषैले और संक्षारक अम्ल
सभी अम्ल उन लोगों के लिए उपयोगी होता है। चाहे वह विषैले अम्ल हों या विषैले अम्ल नहीं हो। जैसे :-
कार्बोलिक अम्ल (फिनॉल) : यह अम्ल विषैले होते हैं लेकिन इसका उपयोग हम लोग साफ सफाई में भी करते हैं।
सल्फ्यूरिक अम्ल : यह अम्ल भी हानिकारक होते हैं लेकिन इसका उपयोग मोटर गाड़ी के बैटरी में किया जाता है।
नाइट्रिक अम्ल : इस अम्ल की मदद से विभिन्न प्रकार के खाद और विस्फोटक बनाने में किया जाता है।
हैड्रोक्लोरिक अम्ल : हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्राव होते रहता है, यह अम्ल भोजन को पचाने में सहायक होता है। लेकिन पेट में उत्पन्न होने वाले हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की मात्रा सामान्य से अधिक हो तो पेट में अम्लीयता जिसको गैस कहते हैं, इसकी शिकायत होती है।
गैस की उपचार के लिए एंटासिड का उपयोग किया जाता है । एंटासिड मूलता क्षारीय होते हैं। जैसे:- सोडियम बाय कार्बोनेट, मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड का वियलन इत्यादि।
घर में अगर नींबू, सिरका तथा खाने का सोडा हो तो पेट की गैस (अम्लीयता) को कम करने के लिए खाने के सोडे का विलियन ही असरदार होगा। क्योंकि नींबू और सिरका में पहले से ही अम्ल होता है।
सबसे ऊपर ही मैंने बताया था जब अम्ल को क्षार के साथ मिला दिया जाता है तो वह उदासीन हो जाता है। तो अगर पेट में अम्ल है तो इसके लिए क्षार लेना चाहिए।
◆ क्षारक (Bases) :-
क्षारक का भी कुछ परिभाषा नहीं है। जिस पदार्थ का स्वाद कड़वा होता है। जैसे :- सोडियम हाइड्रोक्साइड,पोटेशियम हाइड्रोक्साइड,अमोनियम हाइड्रोक्साइड,कैल्शियम हाइड्रोक्साइड इत्यादि। सभी क्षार हैं।
1.प्रबल क्षार (Strong Bases) :-
वे क्षार जो जलीय विलयन में लगभग पूर्णतः आयनित होकर काफी मात्रा में हायड्रोजन आयन (OH-) प्रदान करते हैं , प्रबल क्षार (Strong Bases) कहलाता है। जैसे :- सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH), पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
2.दुर्बल क्षार (Weak Bases):-
वे क्षार जो जलीय विलयन में लगभग आंशिक आयनित होकर कम मात्रा में हायड्रोजन आयन (OH-) प्रदान करते हैं , दुर्बल क्षार (Weak Bases) कहलाता है। जैसे :- अमोनियम हाइड्रोक्साइड (NH4OH), कैल्शियम हाइड्रोक्साइड [Ca(OH)2]
◆ क्षारक के गुण (character of Bases):-
1.अम्ल और क्षारक से रंग बदलना :-
अम्ल और क्षारक रंग बदलने में भी सहायक होते हैं। मैंने ऊपर लिटमस के बारे में बताया था जो कि एक पौधा लाइकेन से निकाला जाता है । अगर लिटमस में अम्ल मिलाया जाए तो लाल रंग होता है। वहीं क्षार में नीला रंग देता है।
लिटमस के अलावा ओर भी पौधे के पत्ती और पौधे के फल होते हैं। जिसका रंग बदल सकता है। लेकिन लिटमस के अलावा दूसरे पौधे का उपयोग प्रयोगशाला में नहीं हो पाता है क्योंकि यह पदार्थ हवा में उपस्थित ऑक्सीजन से धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं।
फूलों तथा सब्जियों के रंग अम्ल द्वारा प्रभावित होते हैं। जैसे लाल गोभी का पत्ता, हल्दी, कुछ फूलों के पत्ते।
2.अम्ल और क्षारक धातुओं से अभिक्रया करती है
धातु अम्ल के साथ अभिक्रिया कर लवण तथा हाइड्रोजन गैस बनाते हैं। कुछ धातु बहुत ही सक्रिय होता है।
जैसे : पोटैशियम (K) > कैल्शियम (Ca)> सोडियम (Na)> मैग्नीशियम (Mg) >एल्युमिनियम (Al) > जिंक (Zn) > लोहा (Fe) > टिन (Sn) > लेड (Pb) > हायड्रोजन (H) > तांबा (Cu) > पारा (Hg) > चांदी (Ag)>सोना (Au).
इसमें सबसे अधिक पोटैशियम सक्रीय होता है। और सबसे कम सक्रीय सोना होता है।
- धातु के कार्बोनेट और बाइकार्बोहाइड्रेट अम्ल से अभिक्रया कर लवण, जल एवं कार्बन डायऑक्साइड देते हैं।
- अम्ल और क्षारक अगर साथ में अभिक्रया करते हैं तो लवण तथा जल बनते हैं। इस अभिक्रया को उदासीन अभिक्रया कहा जाता है।
- धातु के ऑक्साइड मूलतः क्षारक होते हैं । तथा यह अगर अम्ल से अभिक्रिया करता है तो लवन तथा जल बनाते हैं।
- अधातु के ऑक्साइड हमेशा अम्लीय होते हैं ।
- अम्ल को जल में घुलाने पर ऊष्मा उतपन्न होती है।
3. बर्तन पर धब्बा
कॉपर के बर्तनों पर क्षारीय कॉपर ऑक्ससड की परत जम जाने के कारण उनकी चमक बदरंग हो जाती है। नींबू के रस में सिट्रिक अम्ल होता है। अतः नींबू के टुकड़े से बर्तन पर रगड़ने से बर्तन साफ हो जाता है।
◆ सूचक क्या है ?
सूचक का मतलब सूचना देना । कुछ पदार्थ का उपयोग सूचक के लिए किया जाता है। जैसे लिटमस एक सूचक है । इसको अम्लीय घोल में डालने से घोल लाल हो जाता है। जिससे हमें पता चलता है कि यह अम्ल का घोल है। उसी तरह से अगर लिटमस को क्षारीय घोल में डाला जाए तो वह नीला हो जाता है। जिससे हम समझ पाते हैं कि यह क्षार का घोल है।
वैसे हम बिना सूचक के द्वारा भी पता कर सकते हैं कि कौन सा अम्ल है? और कौन सा क्षार है? वह स्वाद के अनुसार पता किया जा सकता है ! लेकिन हम स्वाद के अनुसार इसलिए पता नहीं करते हैं क्योंकि कुछ अम्ल और क्षार विषैले होते हैं। और स्वाद के चक्कर में आदमी की जान भी जा सकती है।
नीचे टेबल में कुछ सूचक दिया गया है।
सूचक | अम्लीय | क्षारीय |
लिटमस | लाल | नीला |
मेथिल ऑरेंज | लाल | पीला |
फिनॉल्फ थैलिन | रंगहीन | गुलाबी |
हल्दी | पीला | लाल भूरा |
चुकंदर | लाल बैंगनी(purple) | पीला |
लाल गोभी का पत्ता | लाल बैगनी | हरा |
◆ pH मान क्या होता है?
किसी भी सूचक द्वारा अम्ल और क्षारक की पहचान कर सकते हैं। लेकिन कोई भी अम्ल या क्षारक कितना शक्तिशाली है ? इसके पहचान करने के लिए एक स्केल 1909 में सोरेंसन में दिया जिसे pH स्केल कहा जाता है।
- किसी भी अम्ल की शक्ति की पहचान H+ आयन की क्षमता पर निर्भर करती है।
pH में p शब्द की व्युत्पत्ति potenz से हुई। जिसका अर्थ शक्ति (Power) होता है। H का मतलब हायड्रोजन (H) होता है।
pH का मतलब होता है पदार्थ में H+ की कितनी मात्रा है। यही मात्रा को pH मान कहा जाता है।
pH स्केल का मान 0 से 14 तक होता है। अगर 0 है तो सबसे अधिक अम्लीय है । और 7 है तो उदासीन है। और अगर 14 है तो सबसे अधिक क्षारीय है।
◆ pH का दैनिक जीवन में भी बहुत महत्व है
1.मनुष्य के अंदरूनी भाग में महत्व
मनुष्य के शरीर के अंग के अंदरूनी भाग में बहुत ऐसी चीज होती रहती है। जिसमें pH मान बहुत ही मायने रखती है। जैसे
पाचन तंत्र में pH का महत्व – इससे पहले भी मैंने बताया था पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनते हैं जो भोजन को पचाने में सहायक होता है। इस हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का pH मान 1.0 के लगभग में रहता है। अगर pH मान 1.0 के लगभग में है तो पेट में कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन यह मान घट गया या बढ़ गया तो नुकसानदायक होता है।
pH परिवर्तन का दाँतों पर प्रभाव – जब हम शर्करा युक्त (मीठा) भोजन करते हैं तब मुंह में मौजूद बैक्टीरिया द्वारा अब घटित होकर अम्ल बनता है। मुंह का pH मान 5.5 से कम हो जाता है तब दांत के दंतवल्क (enamel) क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।
हमारे मुंह का लार हल्का क्षारीय होता है जिसके कारण कुछ अंश तक अम्ल को उदासीन बना देता है। किंतु शेष अन्य प्रभावित रह जाता है अतः शेष अम्ल को नष्ट करने के लिए टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना पड़ता है जो क्षारीय होता है।
नीम के दातुन के रस में क्षार रहता है तो अगर आप नीम के दातुन से दांत साफ करते हैं तो दांत की रक्षा होती रहती है।
शारीरिक परिश्रम करने से लैक्टिक अम्ल बनता है जो हमारे शरीर की मांसपेशियों में दर्द और कड़ापन ला देता है। इस अवस्था में मांस पेशियों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है जिससे ऊर्जा का उत्सर्जन कठिन हो जाता है।
2. मिट्टी का pH
मिट्टी का pH मान 7 के आसपास रहने पर ही अधिकांश पौधों की वृद्धि संतोषजनक ढंग से होती है। कम या ज्यादा रहने पर पौधों में सही ढंग से वृद्धि नहीं होती है।
3.जलीय जीव के लिए pH मान
जलीय जीव के लिए भी pH मान बहुत ही मायने रखता है। जल का pH मान एक निश्चित सीमा के अंदर रहने पर ही जल में रहने वाली मछलियां और अन्य जीव सुरक्षित रहते हैं। खासकर अम्ल वर्षा या अन्य कारणों से जब नदियों व तालाबों का pH बहुत ही कम हो जाता है तो जले जीवन का अस्तित्व का संकट में आ जाता है।
कुछ ऐसे पौधे होते हैं जिस के संपर्क में आने पर खुजली होने लगती है जिससे स्थानीय भाषा में और उरकुस्सी। नेटल (खुजली वाले पौधे) एक झाड़ी में उगने वाला पौधा होता है। जब उरकुस्सी के सम्पर्क में आते हैं तो खुजली होने लगती है।
ऐसा इसलिए होता है। क्योंकि रोएँ द्वारा मेथेनॉइल अम्ल(फॉर्मिक अम्ल) के स्राव होने से खुजली होती है। इसके उपचार के लिए Dock plant के पत्तों को खुजली वाले स्थान पर लगाया जाता है। dock plant (डॉक पौधे) नेटल पौधे के आसपास ही उगते है। डॉक पौधे के पत्तों के रस में क्षार होता है।
कुछ महत्वपूर्ण पदार्थो का pH मान:-
पदार्थ | pH मान |
चूनाजल | 11.0 |
पित्त | 7.5-8.8 |
खून | 7.4 |
आँसू | 7.3 |
शुद्ध जल | 7.0 |
दूध | 6.5 |
पेशाब | 6.0 |
अम्ल वर्षा | 5.6 |
पसीना | 4.5 |
टमाटर का रस | 4.1 |
सिरका | 3.0 |
नींबू का रस | 2.5 |
आमाशय रस | 1.0 |
◆ लवण क्या होता है ? [ What is Salt]
अम्लों और क्षारों की अभिक्रया से लवण और जल बनता है।
लवण में दो मूलक होते हैं पहला क्षार मूलक धन आवेशित (+) होते हैं। दूसरा अम्ल से हायड्रोजन के विस्थापन से प्राप्त होते हैं, इन्हें अम्ल मूलक कहते हैं। अम्लीय मूलक ऋण आवेशित (-) होते हैं।
◆ लवणों का वर्गीकरण [ Classification of Salt]
1.सामान्य लवण [ Normal Salt]
साधारण लवण जैसे खाने वाला नमक सोडियम क्लोराइड (NaCl), पोटेशियम क्लोराइड (KCl). यह पूर्ण रूप से उदासीन होते हैं। इसमें कोई भी क्षत्रिय पदार्थ नहीं होता है।
2.अम्लीय लवण [Acidic Salt]
अम्लीय लवण पूर्ण रूप से उदासीन नहीं होते हैं। मतलब इसमें क्षार की मात्रा कम होती है। जैसे:- सोडियम बाईसल्फाइट, आदि।
3.क्षारीय लवण [ Bases Salt]
जैसे अम्लीय लवण पूर्ण रूप से उदासीन नहीं होते हैं उसी तरह से क्षारीय लवण भी पूर्ण रूप से उदासीन नहीं होते हैं। मतलब इसमें अम्ल की मात्रा कम होती है। जैसे :- नाइट्रिक अम्ल आदि।
◆ लवण के गुण [Characters of Salt]
- प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार से बने लवणों का जलीय विलयन उदासीन होते हैं । क्योंकि इसमें अम्ल और क्षार की मात्रा बराबर होती है। इसका pH मान 7 होता है। जैसे:- KCL, NaCl आदि।
- इसी तरह से प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवणों का जलीय विलियन अम्लीय होता है। क्योंकि इसमें अम्ल की मात्रा अधिक होती है। इसका pH मान 7 से कम होता है। जैसे :- AlCl3, FeSO4 आदि।
- दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षार से बने लवणों का जलीय विलयन क्षारीय होता है। क्योंकि इसमें क्षार की मात्रा अधिक होती है। इसका pH मान 7 से अधिक होता है। जैसे:- Na2CO3, NaHCO3 आदि।
◆ कुछ महत्वपूर्ण लवण [Important Salt]
कुछ लवण हमारे लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं।
1.सोडियम क्लोराइड (साधारण नामक NaCl)
सोडियम हाइड्रोक्साइड तथा सोडियम हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से सोडियम क्लोराइड प्राप्त होता है।
NaOH +HCl -> NaCl + H2O
हमारे देश में 95% सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) को समुद्री जल के वाष्पीकरण द्वारा प्राप्त किया जाता है। और देश में नमक का स्रोत समुद्री जल एवं चट्टान ही है।
वाष्पीकरण द्वारा प्राप्त साधारण नमक में Na2SO4, MgCl2,MgSO4, CaCO3 इत्यादि लवण अशुद्धि के रूप में पाए जाते हैं।
सेंधा नमक और काला नमक (Rock salt) को जमीन खोदकर खदानों (mines) से प्राप्त किया जाता है। इस नामक के अशुद्धि के रूप में लाल चिकनी मिट्टी के कण मिले होते हैं। जिससे इसका रंग भूरा हो जाता है।
आयोडीनयुक्त नमक (Iodised salt)
हमारे भोजन में आयोडीन की कमी से घेघा रोग (Goitre) होता है। इसलिए साधारण नामक में KIO3 या KI की थोड़ी मात्रा मिलाकर नमक को आयोडीनयुक्त किया जाता है।
2. सोडियम हाइड्रोक्साइड (कास्टिक सोडा, NaOH)
सोडियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग बहुत चीजों में क्या जाता है।
- साबुन और अपमार्जक बनाने में
- कागज़ बनाने में
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक (reagent) के रूप में
क्लोरीन गैस का उपयोग
- कपड़ों और कागज़ को विरंजित करने में
- पेयजल को शुद्ध करने में (कीटाणु नाशक बनाने में)
- विरंजक चूर्ण बनाने में
3. सोडियम बाई कार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (खाने का सोडा NaHCO3)
- सोडियम बाई कार्बोनेट का उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में यूज किया जाता है बेकिंग पाउडर खाने का सोडा तथा टार्टरिक अम्ल का मिश्रण होता है । जब बेकिंग पाउडर को जल में बुलाकर गर्म किया जाता है तो निम्न अभिक्रिया प्राप्त होती है। NaHCO3 + H+ -> CO2 + H2O + सोडियम टारट्रेट
- इस अभिक्रिया द्वारा मुक्त CO2 को पावरोटी या केक को मुलायम और स्पंजी बनाने में सहायक होता है। फलस्वरूप सोडियम कार्बोनेट टार्टरिक अम्ल द्वारा उदासीन हो जाता है। यदि बेकिंग पाउडर में टार्टरिक अम्ल नहीं हो तो केक का स्वाद कड़वा हो जाता है।
- सोडियम बाइकार्बोनेट पेट की अमृता को कम करने की औषधि एंटासिड के रूप में प्रयोग किया जाता है। सोडियम बाई कार्बोनेट पेट में जो उपस्थित अत्यधिक अम्ल होता है । उसको उदासीन कर देता है इनो लवन सोडियम बाइकार्बोनेट तथा टार्टरिक अम्ल का मिश्रण होता है।
- सोडियम बाई कार्बोनेट का उपयोग अग्निशामक यंत्रों में भी किया जाता है। अग्निशामक यंत्र में NaHCO3 तथा H2SO4 रहता है। सबसे ऊपर घुडी पर सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) रहता है। और नीचे में H2SO4 गैस रहता है। जब ऊपर दबाव डाला जाता है तो दोनों गैस के संपर्क में आने पर CO2 गैस बनाता है । और CO2 गैस तेजी से बाहर निकल कर आग को बुझा देती है।
- सोडियम बाई कार्बोनेट का उपयोग का उपयोग खस्ता व्यंजन बनाने में किया जाता है। कभी-कभी इसका इस्तेमाल खाना जल्द पकाने के लिए भी किया जाता है।
4. सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3 . 10H2O)
इसको धोने वाले सोडा भी कहते हैं
- कपड़ा इत्यादि धोने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
- कांच, कागज, साबुन इत्यादि के उत्पादन में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- जल का खारापन दूर करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है और इसके उपयोग से अस्थाई रूप से जल का खारापन दूर हो जाता है।
5. विरंजक चूर्ण ब्लीचिंग पाउडर [Ca(OCL)CL]
शुष्क बुझे हुए चूने [Ca(OH)2] को 40°C तक गर्म कर उसके ऊपर क्लोरीन गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण प्राप्त होता है। यह सफेद चूर्ण है जिस से क्लोरीन की गंध निकलती है। विरंजक चूर्ण या ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग भी हम लोग बहुत करते हैं जैसे कि
- कीटाणु नाशक के रूप में
- कागज एवं कपड़ों के विरंजन में
- क्लोरीन क्लोरोफॉर्म आदि बनाने में
6.प्लास्टर ऑफ पेरिस [(CaSO4)2.H2O]
प्लास्टर ऑफ पेरिस जिसका सूत्र ऊपर में आप देख सकते हैं इसके सूत्र के हिसाब से इसको कैल्शियम हेमीहाइड्रेट भी कहा जाता है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस किस तरह से बनता है या नहीं बनता है इसके बारे में मैं नहीं बताऊंगा सिर्फ इसका उपयोग हम बताते हैं कि इसका उपयोग क्या है।
वैसे इस क्लास में आपको जो भी अम्ल पढ़ाया गया है उसका उपयोग जानना जरूरी है और उसका सूत्र जानना भी जरूरी है। को अम्ल कैसे बनता है ? इसके बारे में उतना दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है क्लास इलेवंथ और ट्वेल्थ में डिटेल से पढ़ाया जाएगा।
- प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग मूर्ति बनाने में किया जाता है।
- और इसका उपयोग टूटी हुई हड्डी को बैठाने या जोड़ने में पट्टियों के रूप में भी किया जाता है।
● इन शब्दों को समझें:-
◆ पदार्थ :-
दुनिया में जो भी चीज जो भी वस्तु दिखाई देती है सभी को पदार्थ कहते हैं। पदार्थ की तीन अवस्था होती है, एक गैस अवस्था में भी अलग अलग तरह का पदार्थ होता है। और उसके बाद ठोस अवस्था अवस्था में भी बहुत ज्यादा पदार्थ होता है। उसके बाद तरल अवस्था तरल अवस्था में भी बहुत पदार्थ होता है इसके बारे में आगे हम पढ़ेंगे।
◆ धातु :-
इस चैप्टर के बाद धातु और अधातु चैप्टर है। तो धातु और अधातु चैप्टर में हम डिटेल से पढ़ेंगे क्या होता है धातु? क्या होता है अधातु? तो यहां मैं कुछ उदाहरण देकर आपको बता देता हूं किस को धातु कहते हैं जैसे:- लोहा एक धातु है,सोना, चांदी,इत्यादि
◆ अधातु :-
यहां मैं अधातु के बारे में भी उदाहरण देकर समझा देता हूं जैसे कोयला, ग्रेफाइट, चूना पत्थर इत्यादि यह सब अधातु है।
◆ अभिक्रिया :-
जब कोई दो पदार्थ मिलकर एक नया पदार्थ बना दे तो इस नए पदार्थ को बनाने में जो प्रोसेसिंग होता है उसे प्रोसेसिंग को अभिक्रिया बोला जाता है।
◆ जलीय विलयन :-
जलीय विलयन का मतलब होता है जल में मिला हुआ मतलब पानी में मिला देते हैं तो उसको जलीय विलयन कहते हैं। जैसे अल्कोहल में मिला देंगे तो उसको अल्कोहल विलयन बोल सकते हैं।
◆ यौगिक :-
जब दो या दो से अधिक विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ रासायनिक अभिक्रिया कर नया पदार्थ बनाते हैं, तो इसे यौगिक कहा जाता है।
◆ आयन :-
कोई भी पदार्थ छोटे-छोटे कण से बने होते हैं जिस कौन को हम नंगी आंखों से नहीं देख पाते हैं। क्या आपको पता है यह सभी कण एक दूसरे से जुड़े होते हैं तो एक पदार्थ बनता है।
अगर यह कण जुड़े ना हो अलग अलग हो तो वह पदार्थ नहीं बनेगा। हर एक कण पर एक आवेश होता है या तो वह ऋण आवेश होगा या तो धन आवेश होगा। यह जो आवेश होता है इसी को आयन बोला जाता है।
◆ लिटमस :-
लिटमस विलयन बैगनी रंग का रंजक होता है जो थैलोफाइटा समूह के लीचेन (Lichen) पौधे से निकाला जाता है। लिटमस विलियन जब ना तो अम्लीय होता है ना ही क्षारीय, तब या बैगनी रंग का होता है।
गुण धर्म के अनुसार पदार्थ को 3 भाग में हम विभाजित कर सकते हैं अम्ल, क्षारक और लवण ।
◆ विद्युत अपघटन (Electrolyte) :-
सभी अम्ल, क्षारक और लवण के जलीय विलियन (जल में घुलकर) विद्युत का संचालन कहते हैं, जिन्हें हम विद्युत अपघटन कहते हैं । जैसे- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सोडियम हाइड्रोक्साइड, सोडियम क्लोराइड इत्यादि।
◆ विद्युत अनपघटन (non-Electrolyte) :-
वैसे यौगिक जिनके जलीय विलियन विद्युत का संचालन नहीं करते हैं, वह विद्युत अपघटन कहलाते हैं। जैसे- अल्कोहल, ग्लूकोस, यूरिया इत्यादि।
Note :- विद्युत अपघटन का मतलब यह होता है, मैं एक उदाहरण से आपको समझाता हूं जैसे आपके घर में कोई भी बैटरी होगा और बैटरी से कोई भी बाल विजयंता है तो बैटरी में दो पॉल होता है उस पोल में दो इलेक्ट्रिक तार को जोड़कर बल्ब को जलाया जाता है।
आपको पता होगा कि बल्ब क्यों जलता है? बल्ब इसलिए जलता है क्योंकि एक पोल से करंट दूसरे पोल में जाता है, जो बल्ब के थ्रू जाता है इसलिए बल्ब जलता है।
बैटरी में उत्तेजक पदार्थ दिया जाता है जिससे करंट पास होता है। अगर उत्तेजक पदार्थ ना दिया जाए तो करंट पास नहीं होगा।
जैसा कि मैंने ऊपर बताया है हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सोडियम ऑक्साइड, सोडियम क्लोराइड यह सब एक उत्तेजक पदार्थ है। और यह कारेंट पास कराने में मदद करता है।
जैसे अल्कोहल, ग्लूकोस, यूरिया यह सब उत्तेजक पदार्थ नहीं होते हैं। अम्ल, क्षारक और लवण जल में घुलकर जल में उपस्थित आयन से संपर्क में आते हैं तब विद्युत-धारा का संचालन होता है।
Class 10th Science
चैप्टर 1 : रसायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण
चैप्टर 2 : अम्ल, क्षारक एवं लवण
चैप्टर 3 : धातु एवं अधातु
चैप्टर 4 : कार्बन एवं उसके यौगिक
चैप्टर 5 : जैव प्रक्रम
चैप्टर 6 : नियंत्रण एवं समन्वय
चैप्टर 7 : जीव जनन कैसे करते हैं
चैप्टर 8 : अनुवांशिक
चैप्टर 10 : प्रकाश का अपवर्तन
चैप्टर 11 : मानव नेत्र : वायुमंडलीय अपवर्तन : वर्ण विक्षेपण
चैप्टर 12 : विद्युत – धारा
चैप्टर 13 : विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव
चैप्टर 14 : ऊर्जा के स्रोत
चैप्टर 15 : हमारा पर्यावरण
Class 10 Maths Topic (थ्योरी )
- Chapter 1: वास्तविक संख्या (Real Numbers)
- Chapter 2: बहुपद (Polynomials)
- Chapter 3: दो चर वाले रैखिक युग्म (Pair of Linear Equations in Two Variables)
- Chapter 4: द्विघात समीकरण (Quadratic Equations)
- Chapter 5: समांतर श्रेढ़ियाँ (Arithmetic Progressions)
- Chapter 6: त्रिभुज (Triangles)
- Chapter 7: निर्देशांक ज्यामिति (Coordinate Geometry)
- Chapter 8: त्रिकोणमिति का परिचय (Introduction to Trigonometry)
- Chapter 9: त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग (Some Applications of Trigonometry)
- Chapter 10: वृत (Circles)
- Chapter 11: रचनाएँ (Constructions)
- Chapter 12: वृतों से संबंधित क्षेत्रफल (Areas Related to Circles)
- Chapter 13: पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन (Surface Areas and Volumes)
- Chapter 14: सांख्यकी (Statistics)
- Chapter 15: प्रायिकता (Probability)